भारत के प्रमुख दर्रे:
इस लेख में आपको भारत के प्रमुख दर्रे के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान की जा रही है। जो कि भारत के भूगोलिक व प्राकृतिक अध्ययन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
भूगोलिक स्थिती के अनुसार भारत के दर्रो को दो भागो में बाटा जा सकता है। हिमालय के पर्वतीय राज्यों में पाये जाने वाले दर्रे व प्रायद्वीपीय भारत में पाये जाने वाले दर्रे। दर्रो का उपयोग प्रचीनकाल से ही व्यापार ,परिवहन आदि कार्यो के लिए किया जाता रहा है।
दर्रा किसे कहते हैं?
” पर्वतीय व् पहाड़ी क्षत्रो में पाए जाने बाले आवागमन के प्राकृतिक मार्गो को दर्रा कहा जाता है।” दर्रा मुख्य रूप से दो पहाड़ो के बीच की वह भूमि होती है जो प्राकृतिक कारणों से नीचे दब गई हो, इस प्रकार कि संरचना मुख्य रूप से भूकंप, ज्वालामुखी व् नदियों के बहाव व् कटाव के कारण बनती है। दर्रे कई प्रकार से कठिन पर्वतीय प्रदेश को पर करने में भी सहायक होते है ।
जम्मू-कश्मीर:
काराकोरम दर्रा:
यह दर्रा लद्दाख राज्य में काराकोरम पहाडियों के मध्य स्थित है। यह भारत का सबसे ऊंचा दर्रा है। जिसकी ऊचाई 5664 मी. है। इस दर्रे से होकर यार कन्द व तारिम बेसन को मार्ग जाता है इसी दर्रे से चीन को जाने वाली एक सड़क भी बनाई गई है।
जोजिला दर्रा:
जोजिला दर्रा जम्मू कश्मीर राज्य की जास्कर पर्वत श्रेणी में स्थित है। इस दर्रे का निर्माण सिन्धु नदी के जल प्रवाह के कारण हुआ है। यह दर्रा श्रीनगर को लेह से जोडता है।
बनिहाल दर्रा:
जम्मू-कश्मीर राज्य के दक्षिण-पश्चिम में पीर पंजाल श्रेणियों में स्थित यह दर्रा जम्मू को श्रीनगर से जोडता है। अटल सुरंग भी इसी में स्थित है।
बुर्जिल दर्रा:
यह दर्रा श्रीनगर को गिलगित से जोडता है। इसकी ऊचाई 4100 मी. है। यह दर्रा कश्मीर और मध्य एशिया के मध्य आवागमन का पारम्परिक मार्ग है।
पीरपंजाल दर्रा:
यह दर्रा पीरपंजाल पर्वत श्रेणी में स्थित है। इसकी ऊचाई 3490 मी है। यह जम्मू से श्रीनगर के लिए जाने का पारंपरिक व सबसे छोटा मार्ग है।
हिमांचल प्रदेश –
शिपकी-ला-दर्रा:
शिपकी-ला दर्रे का निर्माण सतलज नदी के जल प्रवाह के कारण हुआ है। यह जास्कर श्रेणी में स्थित है । जो हिमाचल प्रदेश को तिब्बत से जोडता है। यह लिपु लेख और नाथुला दर्रे के बाद चीन के साथ व्यापार के लिए तीसरा प्रमुख मार्ग है।
रोहतांग दर्रा:
रोहतांग दर्रा हिमाचल प्रदेश की पीरपंजाल श्रेणी में स्थित है। इसकी ऊचाई 4620 मी. है जो मानीला और लेह को आपस में जोडता है।
बारा लाचाला दर्रा:
यह दर्रा जास्कर श्रेणी का सबसे ऊचा दर्रा है। जिसकी ऊचाई 4890 मीटर है यह दर्रा लेह और मंडी को जोडता है।
उत्तराखंड-
माना दर्रा:
माना दर्रा उत्तराखण्ड को तिब्बत से जोडता है। इसी दर्रे से होकर भारतीय तीर्थयात्री मानसरोवर झील व कैलाश पर्वत की यात्रा के लिए जाते है।
नीति दर्रा:
यह उत्तराखण्ड व तिब्बत की सीमा पर स्थित है। उत्तराखण्ड राज्य में स्थित यह दर्रा मानसरोवर व कैलाश जाने का रास्ता देता है।
लिपुलेख दर्रा:
यह उत्तराखण्ड के पिथौरागढ जनपद में 5334 मीटर की ऊचाई पर स्थित है एवं उत्तराखण्ड व तिब्बत को जोडता है। यहां से कैलाश-मानसरोवर जाने का रास्ता गुजरता है।
सिक्किम-
नाथूला दर्रा:
सिक्किम राज्य के डागेक्या श्रेणी में स्थित यह दर्रा भारत-चीन युद्ध के सामरिक महत्व के कारण चर्चित है। 1962 के भारत-चीन युद्ध के बाद इसे बंद कर दिया गया था। जिसे पुनः 2006 में खोल दिया गया। यह दार्जलिंग तथा चुम्बी घाटी से होकर तिब्बत जाने का मार्ग प्रशस्त करता है। चुम्बी नदी इसी दर्रे से होकर बहती है।
जोलेप्ला दर्रा:
सिक्किम राज्य में स्थित इस दर्रे का निर्माण तीसता नदी के बहाब के कारण हुआ है। इसकी समुद्र तल से ऊचाई 4270 मीटर है। यह दर्रा सिक्किम को भूटान से जोडता है।
अरुणाचल प्रदेश-
बोमडिला दर्रा:
बोमडिला दर्रा से ही अरुणाचल प्रदेश से त्वांग घाटी होकर तिब्बत जाने का मार्ग है। इसकी ऊचाई 2217 मीटर है।
यांग्याप दर्रा:
यह दर्रा महान हिमालय श्रेणी का हिस्सा है। इसी दर्रे से होकर ब्रम्हपुत्र नदी भारत में प्रवेश करती है।
दीफू दर्रा:
यह अरुणाचल प्रदेश व म्यांमार की सीमा पर है।
मणिपुर-
तुजू दर्रा:
तुजू दर्रा इम्फाल व म्यांमार को जोडता है।
केरल-
पालघाट दर्रा
अन्नामलाई व नीलगिरी पहाडियों के बीच स्थित यह दर्रा कोझिकोड (केरल) और कोयंबटूर (तमिलनाडु) को आपस में जोडता है। इसकी ऊचाई 300 मीटर है।
शैनकोट्टा दर्रा:
यह इलायची पहाडियों में 210 मीटर ऊचाई पर स्थित है। यह दर्रा तिरुवनंतपुरम (केरल) और मदुरै( तमिलनाडु) को आपस में जोडता है।
महाराष्ट्र-
थाल घाट दर्रा:
यह दर्रा नासिक को मुम्बई से जोडता है।
भोर घाट दर्रा:
यह मुम्बई को पुणे तथा चेन्नई से जोडता है इसकी ऊचाई 548 मीटर है।